जबलपुर में डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. संजय नगर जेडीए कॉलोनी में एक बार फिर लाखों की ठगी कर ली गयी. साइबर ठगों के शिकार बुजुर्ग दंपति बने. बुजुर्ग दंपति को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल भेजने की धमकी दी गयी थी. व्हाट्सएप कॉल कर जालसाजों ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया. रक्षा मंत्रालय की ग्रे आयरन फाउंड्री फैक्ट्री के रिटायर्ड अधिकारी प्रकाश एंथोनी को 1 दिसंबर को कॉल आया था.
कॉलर ने दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर मनी लॉन्ड्रिंग केस रफा दफा करवाने के एवज रुपये की डिमांड की. डिमांड पर पहली बार उन्होंने 1 लाख 75 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिये. कुछ दिन बाद फिर साइबर ठगों ने पीड़ित दंपति से कॉल कर 10 लाख रुपये की मांग की. मांग पर उन्होंने रुपये ट्रांसफर कर दिये. दो बार पैसे ट्रांसफर करवाने के बाद आरोपी बार-बार कॉल करने लगे.
डिजिटल अरेस्ट कर करीब 12 लाख की ठगी
थक हारकर पीड़ित परिवार ने रांझी थाने पहुंचकर पुलिस को आपबीती सुनाई. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. परिवार का कहना है कि ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर घर में कैद रखा. फोन और वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट की धमकी देते रहे. घर से बाहर निकलने की मनाही थी. कई दिनों तक पीड़ित दंपति घर में कैद रहे. आरोपियों ने बुजुर्ग दंपति से करीब 11 लाख 75 हजार की ठगी कर ली.
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की मिली धमकी
बड़ी रकम ट्रांसफर करवाने के बाद भी जालसाज रुपयों की मांग करते रहे. एसपी सम्पत उपाध्याय ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट का कानूनी प्रावधान नहीं है. अवैध गतिविधि में संलिप्तता पाये जाने पर भी जांच एजेंसी, पुलिस, ईडी, सीबीआई के अधिकारी फोन या कॉल कर रुपयों की डिमांड नहीं करते हैं. मामले को रफा दफा करवाने के एवज रुपयों की डिमांड ठग करते हैं. उन्होंने बताया कि साइबर ठगी के प्रति लोगों को जागरुक करने का प्रयास चल रहा है.
