राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने शनिवार (1 मार्च) को प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पूर्ववर्ती सरकार की ओर से शुरू की गई महिलाओं को मुफ्त मोबाइल फोन बांटने की योजना बंद कर दी है. अशोक गहलोत ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य के साथ हमारी सरकार ने प्रदेश के सभी 1 करोड़ 19 लाख चिरंजीवी परिवार की महिला मुखियाओं को तीन साल की इंटरनेट के साथ स्मार्टफोन देना शुरू किया था.
उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण में लगभग 35 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन दिए गए. बीजेपी सरकार ने आते ही इस योजना को बंद कर दिया जबकि यह एक बजट घोषणा थी जिसका बजट भी जारी कर दिया गया था. सवा साल में बीजेपी सरकार एक भी स्मार्टफोन नहीं बांट सकी. अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' पर कहा, मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सवा साल में बार-बार 88,000 टैबलेट बांटने का उदाहरण देते हैं.
अशोक गहलोत ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, "शायद उनकी जानकारी में नहीं आया कि टैबलेट वितरण की घोषणा हमारी सरकार ने आखिरी साल में की थी जिसे नई सरकार ने लागू किया पर वो ये छिपाते हैं कि महिलाओं को स्मार्टफोन देने की योजना को उन्होंने बन्द कर दिया. बीजेपी ने एक दुष्प्रचार किया कि मोबाइल फोन रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे थे, जबकि यह योजना 'रिसर्च एवं एविडेंस बेस्ड' थी."
कांग्रेस नेता ने कहा, "ये स्मार्टफोन तीन साल के लिए फ्री इंटरनेट के साथ दिए जा रहे थे. 'इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकॉनमिक रिलेशनंस', 'दि इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया' और भारत सरकार के आईटी मंत्रालय की रिपोर्ट है कि इंटरनेट उपयोगकर्ता की संख्या 10 प्रतिशत बढ़ने पर जीडीपी में 1.08 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है. अगर प्रदेश में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती तो इससे राज्य की जीडीपी बढ़ती."
गहलोत ने कहा, "बीजेपी सरकार का यह कदम एक तरह से संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है, जो नागरिकों को सरकार और कानून के आगे समानता का भाव देता है. यदि सरकार ने सभी महिलाओं को स्मार्टफोन देने की योजना शुरू की थी तो उसे रोकना उचित नहीं है."