समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में जारी बिजली संकट को लेकर योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती और ट्रांसफार्मर फुंकने जैसी समस्याओं से बुरी तरह परेशान है. भाजपा सरकार बिजली व्यवस्था को संभालने में पूरी तरह विफल रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा ने जब सत्ता में कदम रखा था तब 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा भी बाकी वादों की तरह झूठा निकला. आज स्थिति यह है कि बड़े शहरों तक में बिजली की नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है और छोटे शहरों, कस्बों तथा गांवों की हालत और भी बदतर है.
एक भी नया पॉवर प्लांट नहीं लगाया
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने पिछले 8 वर्षों में राज्य में बिजली उत्पादन के लिए एक भी नया पावर प्लांट नहीं लगाया. जो बिजली जनता को मिल रही है, वह समाजवादी सरकार के कार्यकाल में स्थापित बिजलीघरों की ही देन है. उन्होंने कहा कि एटा और कानपुर देहात जैसे जिलों में समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में पावर प्लांट लगाए गए थे, जिनका काम भाजपा सरकार की लापरवाही से समय पर पूरा नहीं हो पाया.
योजना लागू नहीं कर पाई
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने ग्रामीण विद्युतीकरण, अंडरग्राउंड केबलिंग और ट्रांसफार्मर की त्वरित मरम्मत के लिए विशेष बजट और निर्देश दिए थे, लेकिन भाजपा सरकार इन योजनाओं को ठीक से लागू नहीं कर पाई.
निजी कम्पनियों को बढ़ावा
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि भाजपा अब बिजली आपूर्ति को निजी कंपनियों के हवाले करने की तैयारी में है, जो जनता के लिए और नुकसानदायक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि एक तरफ जनता को बिजली नहीं मिल रही है, दूसरी तरफ उन्हें बढ़े हुए बिजली बिलों का झटका झेलना पड़ रहा है.
बढ़ गया गर्मी और लू का कहर
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बीते कुछ हफ्तों से तेज गर्मी और लू का कहर जारी है. तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच चुका है. ऐसे में बिजली कटौती आम जनजीवन को और भी कठिन बना रही है. खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रोज़ाना कई घंटों की कटौती हो रही है, जिससे किसान और छोटे व्यापारी वर्ग सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं.
बनेगा चुनावी मुद्दा
जनता में बढ़ते आक्रोश के बीच समाजवादी पार्टी ने बिजली संकट को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने के संकेत दिए हैं. वहीं, सरकार की ओर से अब तक बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है.
