चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बिहार विधानसभा चुनाव में महज 4 से 5 महीने रह गए हैं. - AWAM AUR KHABAR

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चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. बिहार विधानसभा चुनाव में महज 4 से 5 महीने रह गए हैं.

 




बिहार विधानसभा चुनाव में महज 4 से 5 महीने शेष रह गए हैं. टिकट के लिए दल बदल का खेल भी चल रहा है. कई नेता एक दल को छोड़कर दूसरे दल में शामिल हो रहे हैं. इसी कड़ी में शिवहर जिले के राधाकांत गुप्ता ने बीजेपी का साथ छोड़कर तेजस्वी यादव की राजद का दामन थाम लिया. शुक्रवार (30 मई, 2025) को उन्होंने प्रदेश कार्यालय में राजद की सदस्यता ली. मोरवा विधायक रन विजय साहू ने राजद में शामिल होने पर राधाकांत गुप्ता का अभिनंदन किया.


दूसरी तरफ राधाकांत गुप्ता ने संबोधन में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा कि राजद की विचारधारा से प्रभावित होकर मैंने सदस्यता ली है. अब से मेरा लक्ष्य तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का रहेगा. बता दें कि राधाकांत गुप्ता 2016 से बीजेपी के सक्रिय नेता रहे हैं. शिवहर में जिला महामंत्री के पद पर अब तक थे. बीजेपी में उन्होंने कई प्रकार की भूमिका को संभाला. 2020 के विधानसभा चुनाव में शिवहर सीट एनडीए की सहयोगी जदयू को मिल गई थी.




चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका

राधाकांत गुप्ता निर्दलीय चुनावी रण में ताल ठोंकी. उन्होंने 14178 वोट प्राप्त कर 14 प्रत्याशियों में चौथे स्थान पर जगह बनाई. बीजेपी के बागी उम्मीदवार की वजह से जदयू उम्मीदवार और पूर्व विधायक मो शरफुद्दीन को हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि चुनाव बाद भी राधाकांत गुप्ता बीजेपी में बने रहे. उन्होंने लोकसभा चुनाव में लवली आनंद को जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत की. अब विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने राजद का दामन थाम लिया है.

राधाकांत गुप्ता बन सकते हैं चुनौती

शिवहर विधानसभा सीट पर 25 फीसद के करीब वैश्य, अनुसूचित जाति- जनजाति और मुस्लिम भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं. राधाकांत गुप्ता वैश्य समाज से आते हैं.टिकट की लालसा लेकर राजद में आए राधाकांत गुप्ता वर्तमान विधायक चेतन आनंद के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं.

राजद के टिकट पर चुनाव जीतने वाले चेतन आनंद अभी एनडीए खेमे में हैं. ऐसे में आगामी चुनाव के दौरान जातीय ध्रुवीकरण का नुकसान चेतन आनंद को उठाना पड़ सकता है. चेतन आनंद एनडीए की सहयोगी जदयू या बीजेपी से चुनावी रण में उतर सकते हैं. वैश्य और मुस्लिम वोटर्स के लामबंद होने पर शिवहर में महागठबंधन को एक बार फिर फायदा मिल सकता है

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