खनिज व्यवसाय से जुड़ी 12 कंपनियों का करोड़ों रुपया खनिज विभाग ने सुरक्षा निधि के रूप में लिया था लेकिन विभाग कोर्ट के आदेश के बाद भी कंपनियों की सुरक्षा निधि लौटने को तैयार नहीं है. यह पूरा मामला उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है. खनिज व्यवसाय से जुड़े व्यापारी काफी परेशान हैं. अब व्यापारी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से गुहार लगाने की तैयारी कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि जब भी कोई फॉर्म या कंपनी खनिज विभाग से जुड़े किसी भी टेंडर को हासिल करती है तो नियम और शर्तों के मुताबिक कंपनी को सुरक्षा निधि के रूप में टेंडर राशि का कुछ प्रतिशत सरकार के पास सुरक्षित रखना होता है. यह सुरक्षा निधि इसलिए रखी जाती है ताकि ठेकेदार बीच में टेंडर्स छोड़कर न चला जाए. इसके अलावा टेंडर की शर्तों का पालन नहीं करने पर भी सुरक्षा निधि जब्त ली जाती है.
टेंडर्स की शर्तों के मुताबिक सुरक्षा निधि उस समय कंपनी को वापस लौटना होता है, जब ठेका समाप्त हो जाता है. मध्य प्रदेश में 12 अलग-अलग कंपनियों का करोड़ों रुपया खनिज विभाग में फंस गया है. ठेकेदारों की माने तो उन्होंने सुरक्षा निधि की राशि टेंडर समाप्त होने के बाद हासिल करने की तमाम कोशिश की लेकिन वे असफल रहे. उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय खंडपीठ जबलपुर की ओर से ठेकेदार कंपनी के पक्ष में फैसला आया. न्यायालय ने भी राशि लौटाने के निर्देश दिए.
इसके बाद भी अभी तक ठेकेदारों को उनकी सुरक्षा निधि नहीं मिल पाई है. इस संबंध में खनिज विभाग के पीएस उमाकांत उमराव से मोबाइल नंबर 94240 23121 पर चर्चा करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी को किया रिजेक्ट
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) लगाई गई, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी रिजेक्ट कर दिया. इससे स्पष्ट होगी ठेकेदार अपनी जायज मांग खनिज विभाग के सामने रख रहे हैं, मगर उनकी टेंडर की सुरक्षा निधि अभी तक नहीं मिल पा रही है.
इन कंपनियों की राशि है बकाया
खनिज के क्षेत्र में काम करने वाली कई कंपनियों की राशि सरकार के पास बकाया है. इसमें नरसिंहपुर की धनलक्ष्मी, पावर मेक, सीधी की सैनिक इंडस्ट्रीज, हरदा के उज्जवल चौहान, अनूपपुर की केजी डेवलपर्स, शहडोल की वंशिका कंस्ट्रक्शन, छिंदवाड़ा के शिशिर खंडार, कटनी की विस्टा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड आदि 12 कंपनियों का सरकार पर करोड़ों रुपया बकाया है.
ठेकेदारों को कहना है कि उन्हें बैंक का ब्याज लग रहा है, जबकि खनिज विभाग उन्हें नियम अनुसार राशि लौटाने को तैयार नहीं है. 2 साल से सुरक्षा निधि की राशि हासिल करने के लिए परेशान हो रहे हैं