हत्या की आरोपी महिला ने दी ऐसी दलील, जज भी रह गए हैरान, - AWAM AUR KHABAR

BREAKING

हत्या की आरोपी महिला ने दी ऐसी दलील, जज भी रह गए हैरान,

 




मध्य प्रदेश के जबलपुर में बिजली का झटका देकर अपने पति की हत्या के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. पति की हत्या करने को लेकर आजीवन कारावास की सजा पाने वाली केमिस्ट्री की पूर्व प्रोफेसर ममता पाठक ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को चुनौती दी है. इस विषय में अपने ज्ञान के आधार पर अपना पक्ष रखने का फैसला किया है.


दरअसल, साल 2021 का हत्या का यह मामला तब सुर्खियों में आया जब हाल ही में कोर्ट रूम में महिला की दलीलों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया. हाईकोर्ट ने उसकी सजा को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.




ममता पाठक (65) छतरपुर के एक पोस्ट ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री की प्रोफेसर थी और अदालत के अनुसार, उसने जानबूझकर कानूनी सहायता लेने से इनकार कर दिया है. ममता पाठक ने इस साल अप्रैल में अदालत के समक्ष दलील दी थी कि वह पिछले डेढ़ साल से अपने मामले का अध्ययन कर रही है.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में महिला अपने बचाव में कहती हुई दिखाई देती है, "पोस्टमार्टम के दौरान थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न के निशानों के बीच अंतर करना संभव नहीं है." महिला ने रसायन विज्ञान की शिक्षिका के रूप में अपने ज्ञान के आधार पर अपने मामले पर खुद बहस करने का फैसला किया था.

महिला का दावा है कि शरीर पर पाये जाने वाले जलने के के निशान को हटाने और उसकी प्रकृति का पता लगाने के लिए रसायनों से उपचार करने की आवश्यकता होती है. इसके बाद न्यायाधीश ने उससे पूछा, "क्या आप रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं, जिस पर वह हां में सिर हिलाती है और टिप्पणी करती है. मुझे नहीं पता कि पोस्टमार्ट में यह कैसे कहा गया है कि यह इलेक्ट्रिक बर्न का निशान है."

फैसला रखा था सुरक्षित
इस साल 29 अप्रैल को न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने पाठक की अपील पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें उसने अपनी सजा को चुनौती दी थी. अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि अपीलकर्ता (ममता पाठक) ने अपने पति डॉ. नीरज पाठक (63) की बिजली का झटका देकर हत्या कर दी. नीरज पाठक एक सरकारी डॉक्टर थे.

अपने घर में मृत पाए गए थे नीरज
बता दें कि नीरज पाठक 29 अप्रैल, 2021 को छतरपुर में अपने घर में मृत पाए गए. उनके शरीर पर कई जगहों पर बिजली के जलने के निशान पाये गए थे. महिला की शिकायत पर छह मई, 2021 को एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, डॉक्टरों की एक टीम ने शव परीक्षण किया था.

पोस्टमार्टम से संकेत मिलता है कि डॉ. नीरज पाठक की मौत बिजली के करंट के परिणामस्वरूप ‘कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर’ के कारण हुई थी. जांच के दौरान दर्ज बयानों के आधार पर, ममता पाठक को मामले में आरोपी बनाया गया. जांच पूरी होने के बाद, पांच अगस्त, 2021 को आरोपपत्र दाखिल किया गया. महिला ने अपनी सजा को चुनौती देते हुए अदालत में तर्क दिया कि उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत उपलब्ध नहीं है.

आरोप पर महिला ने दिया ये तर्क
सामने आए वीडियो में नजर आ रहा है कि उच्च न्यायालय ने उससे पूछा कि उसके खिलाफ बिजली का करंट लगाकर अपने पति की हत्या करने का आरोप है और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बिजली के झटके के निशान थे. महिला यह तर्क देती हुई दिखाई देती है कि पोस्टमार्टम के दौरान थर्मल और इलेक्ट्रिक बर्न के निशानों में अंतर करना संभव नहीं है. शरीर पर पाये गये बर्न के निशानों को हटाने और उनके स्रोत का पता लगाने के लिए रसायनों से उपचार करने की आवश्यकता होती है.

'पोस्टमार्टम में इलेक्ट्रिक बर्न का निशान नहीं'
इसके बाद न्यायाधीश ने उससे पूछा कि क्या आप रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं? महिला ने जवाब दिया, हां...मुझे नहीं पता कि पोस्टमार्टम में यह कैसे कहा गया कि यह इलेक्ट्रिक बर्न का निशान है. वहीं अभियोजन पक्ष के अनुसार, उच्च न्यायालय ने उसकी सजा के अस्थायी निलंबन की अवधि को फैसले की तारीख तक बढ़ा दिया, जिसे अभी सुनाया जाना है.

ममता पाठक ने दी ये दलील
आदेश सुरक्षित रखते हुए, हाईकोर्ट ने कहा, "चूंकि ममता पाठक ने दलील दी है कि सजा के अस्थायी निलंबन की अवधि को फैसले की तारीख तक बढ़ाया जाए, इसलिए यह प्रार्थना स्वीकार की जाती है। उसकी सजा के अस्थायी निलंबन की अवधि को फैसले की तारीख तक बढ़ाया जाता है

Pages