CM मोहन यादव ने दी श्रद्धांजलि महानायक शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ का बलिदान दिवस - AWAM AUR KHABAR

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CM मोहन यादव ने दी श्रद्धांजलि महानायक शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ का बलिदान दिवस

 




मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर प्रवास के दौरान जनजातीय महानायक अमर शहीद राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. सीएम ने गुरुवार (18 सितंबर) को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर उनकी गौरवगाथा का स्मरण किया. उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने बिना कोई मुकदमा चलाए महाराज शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को तोप से उड़ाने का निर्णय लिया था.


CM ने अंग्रेजों के शासन की आलोचना करते हुए कहा, ''अंग्रेज तो कहते हैं कि हम तो न्याय से चलते हैं, पद्धति से चलते हैं, मुकदमे लगाकर फैसले करते हैं. लेकिन ये फैसले इस बात के गवाह हैं कि दोनों राजा शंकर शाह जी और कुंवर रघुनाथ शाह जी को बगैर कोई मुकदमा चलाए, बिना किसी प्रक्रिया के पालन किए उन्हें तोप से उड़ाने का निर्णय लिया था.'' 



शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की गौरवगाथा

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे कहा, ''अंग्रेजों ने शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह से आखिरी बार पूछा तो उन्होंने कहा, ''तुम्हारे तोप के गोले में कितना दम है, याद रखना मैं अगर तोप से एक बार बचूंगा तो दूसरी बार फिर ये जीत लिखूंगा तुम में जितना दम हो उतना लगा लेना लेकिन मैं मौत से नहीं डरता हूं. ऐसे रघुनाथ शाह जी के लिए हम अपने समाज के माध्यम से अभिनंदन करें.''
जनजातीय महानायक शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ का बलिदान दिवस, CM मोहन यादव ने दी श्रद्धांजलि


अंग्रेज के गुर्गे आज भी समाज में फूट डाल रहे- मोहन यादव

एमपी के सीएम ने ये भी कहा, ''हमारा आदिवासी समाज, जिस प्रकार से मां दुर्गा-भवानी की अराधना करते करते- जीवन में एकमात्र लक्ष्य भारत माता की जय करते-करते अंग्रेजों को भगाने का संकल्प लिया था. आज भी अंग्रेज के गुर्गे समाज में फूट डालने के लिए जानें क्या-क्या कहते हुए घूमते हैं. आज भी हमको बरगलाते हैं. मैं मंडला भी गया था, जहां शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह माता की पूजा करते थे. उस जगह पर बहुत ही आनंद आता है.''
'स्वदेशी अपनाकर उनके बलिदान को सार्थक बनाएं'

सीएम ने आगे कहा, ''अपने गीतों-कविताओं के माध्यम से दोनों नायकों ने जनजातीय अंचल में आजादी की अलख जगायी. इस क्रांति का मूल कारण 'स्वदेशी' ही था. वर्तमान में हम भी स्वदेशी अपनाकर भारत को सक्षम बनाएं और महाराज शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह जी के बलिदान को सार्थक बनाएं

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